
New Delhi: अगर कोई महिला अब डोमेस्टिक वायलेंस या 498A के तहत केस दर्ज कराती है, तो पुलिस उसे 24 घंटे के अंदर गिरफ्तार नहीं कर सकेगी। Supreme Court ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक पुराने फैसले को uphold करते हुए ये बड़ा निर्देश जारी किया है।
क्या है नया कानून?
Supreme Court ने साफ कहा है कि 498A IPC के मामलों में अब सीधा arrest नहीं होगा। अब इन मामलों में 2 महीने का ‘cooling period’ यानी polling period दिया जाएगा। इस दौरान कोई गिरफ्तारी नहीं की जाएगी।
इस 2 महीने के टाइम में केस को Family Welfare Committee को सौंपा जाएगा। Committee का काम होगा दोनों पक्षों को समझाना, counselling देना और मामले को सुलझाने की कोशिश करना।
क्यों लिया गया ये फैसला?
Supreme Court ने ये step इसलिए लिया है क्योंकि पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि 498A जैसे कानून का misuse
Courts में ऐसे हजारों मामले आए जहां यह साबित हुआ कि शिकायत झूठी थी या बदले की भावना से की गई थी। इसी को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने कहा है कि अब arrest एकदम आखिरी उपाय होना चाहिए, ना कि पहली प्रतिक्रिया।
महिलाओं से की गई अपील
Supreme Court ने यह भी कहा कि महिलाओं को कानून का सही और responsible तरीके से use करना चाहिए। Court ने request की है कि किसी निर्दोष पुरुष को सिर्फ personal grudges या family issues की वजह से झूठे केस में ना फंसाया जाए।
अगर आपका केस genuine है तभी आप कानून का सहारा लें, ताकि असली victims को न्याय मिल सके और system overload ना हो।
अब क्या होगा प्रक्रिया?
- डोमेस्टिक वायलेंस या 498A केस दर्ज होने के बाद 24 घंटे में arrest नहीं होगा।
- पहले केस Family Welfare Committee के पास जाएगा।
- Committee 2 महीने तक counselling और mutual understanding से issue solve करने की कोशिश करेगी।
- अगर मामला serious लगा, तभी arrest की अनुमति दी जाएगी।
लोगों की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर लोग Supreme Court के इस फैसले की काफी सराहना कर रहे हैं। कई लोगों ने इसे “समाज में संतुलन लाने वाला” फैसला बताया है, जबकि कुछ महिलाओं ने यह चिंता जताई है कि कहीं इसका गलत असर genuine victims पर ना पड़े।
Final Thought
इस फैसले से उम्मीद की जा रही है कि कानून का दुरुपयोग रुकेगा और जो भी शिकायतें होंगी, वो पूरी जांच और counselling के बाद ही आगे बढ़ेंगी।
जय हिंद, जय भारत!